चमचमाती बिजलियां |
बेतहाशा शोर |
बड़े बड़े लोहे के रथों पर सवार |
हथियार बंद लोगों का हुजूम |
भारी तमाशबीन भीड़ को चीर |
जगह जगह घूमकर |
कागजों के पुतले जलाते |
अट्टहास करते रहे |
बहुत सारे रावण |
साल दर साल |
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अनुभूति सत्य है, अभिव्यक्ति मिथ्या.
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