Monday 14 October, 2013

एक टुकड़ा सूरज और पूड़ी हलवा

त्योहारों के इन दिनों 
हलवा पूड़ी खाते गरीब बच्चे 
कितने खुश दिखाई देते हैं 
और खुश दिखाई देते हैं वे भी 
जिनके लिए इन बच्चों का अस्तित्त्व बेहद जरूरी है 
पुण्य कमा कर सीधे स्वर्ग जाने के लिए 
गरीबी और दीनता के ये जलसे 
शायद किसी के अपराध बोध का इलाज भी हों 
लेकिन एक हवा भी है 
हर चीज की तरह ये जलसे 
ये तो सब खैर ठीक है लेकिन 
आश्चर्य ये कि झोपड़ियों का नरक 
कभी ऊंची इमारतों के स्वर्ग से ये नहीं कहता 
थोड़ा हटो और हवा आने दो ! 
और ये ऐलान कि 
सारा पानी तुम्हारा ही नहीं है !!
और ये सवाल कि 
कहाँ है हमारे हिस्से का सूरज !!!

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