Thursday 8 November, 2012

४७ पन्ने

एक एक पन्ना ज़िन्दगी 
इतिहास में चुपचाप ले जाकर 
बाँध रखा है वक्त ने जिल्द में  
मिटे मिटे से कुछ हर्फ़ 
जिनमे बाकी है धीमी सी सांस अभी 
धुन्धलाये से पड़े यहाँ वहा कुछ नुक्ते 
याद की लहरों को झोंका देते हुए कई सफे 
एहसासों की गर्मियां और 
बुझती बुझती सी चन्द खुशबुएँ ज़िंदा हैं अभी 
पन्नो के बीच दबे सूखे गुलाब 
कागजों के मुड़े हुए कोने 
एक पशेमंजर बयान करते हैं 
रंगीन खुशनुमा दिलचस्प मुतमईन

No comments:

Post a Comment