Tuesday 20 July, 2010

क्षितिज

देखो दूर वहाँ
जहाँ मिल जाते हैं धरती आकाश
मन करता रहा पहुँच जाऊँ वहाँ
पाँव धरती पर
और सर को छूता आसमान
बहुत कोशिशें की
सब नाकाम
हम इन्सानो के बस का नहीं है ये
पाँव धरती पर रहें
तो दूर ही रहेगा आसमान
या फ़िर सर होगा जब आसमान पर
नहीं होंगे धरती पर पाँव

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