जैविक क्रम मे उच्चतम
होने से हम महान हैं
ये और बात है कि
हम मार डालते हैं
एक दूसरे को ही
अक्सर भरे पेट भी
हम महान हैं क्योंकि
विस्तारित कर लिये हैं हमने
अपने अंग
नाखूनो को छुरों तलवारों मे बदल कर
पैरों को गाड़ियों जहाजों मे बदल कर
आँखों को खुर्दबीनो दूरबीनो मे बदल कर
दूर तक है अब हमारी पहुँच
ये और बात है कि
इनका इस्तेमाल हम
प्रकृति के विरुद्ध संघर्ष कर
लगे हुये हैं आत्मघात मे ही
हम महान हैं क्योंकि
हम कहते हैं ऐसा
ये और बात है कि
दिखाई नहीं देता
कुछ भी हमारे कृत्य में ऐसा
Saturday 8 May, 2010
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