Thursday 25 February, 2010

कभी तो आयेगा अच्छा भी वक्त

कभी तो आयेगा अच्छा भी वक्त
ख़राब हैं हालात अभी तो बहुत
अभी तो करना पड़ता है बहुत बन्दोबस्त
कि लोग चल सकें सड़कों पर ठीक से
और हाँ
भेड़ बकरियों के बाबत नहीं
इन्सानों के लिये कह रहा हूँ मै
खड़े रहते हैं मुश्तैद दरोगा सिपाही
जैसे कि हम इतने जंगली हैं कि
चल भी न सकें कायदे से अपने आप
अभी तो डंडे के ज़ोर पे ही
रोकनी पड़ती हैं चोरियाँ
मुकाबला किया जाता है डकैतियों का
सज़ा देके समझाई जाती है ये बात
कि बुरी बात है दूसरे का हक़ छीनना
कोशिश की जाती है ज़ोर ज़बरदस्ती से
कि औरतों से ज़ोर ज़बरदस्ती न की जाये
बड़ी मुश्किल से शायद ही कभी
समझ आता हो किसी को
बुज़ुर्गों की इज़्ज़त की जाये
बच्चों को मोहब्बत से पाला जाये
पेड़ पौधों को बचाया जाये
कभी तो आयेगा वो वक्त
जब अदालतें नहीं होगी
नहीं होंगे वकील जज़ और सिपाही
हो जायेंगे हम लायक इतने
कि ज़रूरत हीं नहीं होगी इनकी
कभी तो आयेगा ऐसा भी वक्त
खराब हैं हालात अभी तो बहुत
कभी तो आयेगा अच्छा भी वक्त

No comments:

Post a Comment