Sunday 21 February, 2010

कलजुगी नेता

ये गलतफ़हमी दूर कर लो कि
अनुयाई चलते हैं नेता के पीछे
केवल दिखता भर है ऐसा
बात कुछ यूँ है कि
नेता की आँखें होती हैं पीछे को
दिखती नहीं हमे ये और बात है
और ये भी कि आगे वाली तो हैं नकली
जैसे हाथी के दाँत
न मानो तो जरा सोचो
कौन नेता ले जाता है आगे
समाज को
देखता ही नहीं आगे को
तो ले कैसे जायेगा आगे
खैर तो मामला ये कि
नेता वो
जो देख लेता है
किधर जा रही है भीड़
और फ़िर चल पड़ता है उसके आगे आगे
मुड़े भीड़ बांये तो बांये दांये तो दांये
अड़चन ही नहीं
आँखें जो हैं पीछे को
तो ये हैं कलजुगी नेता
और कहीं अगर असली हो नेता
क्या पड़ी उसे कोई पीछे है कि नहीं
आगे को आँख है
आगे को देखता है
आगे को चलता है
और तब बढ़ता है
आगे को समाज

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