Saturday 6 February, 2010

मेरे बच्चों !

चाहता हूँ तुम्हे दे जाऊँ
सुन्दर सूर्यास्त
चौदहों चाँद
अँधियारी रातों में तारो की महफ़िल
साफ़ नदियाँ सागर
संगीत सुनाते झरने
सुरक्षित जंगल वन्य जीवन
शानदार चीते मतवाले हाथी
नाचते मोरों से भरे वन
पहाड़ों के घुमावदार रास्ते
ढलुआँ खेत
लहलहाती फ़सलें
पेड़ो पर झूले सावन के
शीतल मन्द बयार
झकझोरती आँधियाँ
रिमझिम फ़ुहारें
आम के बौर की मतवाली गन्ध
खुशबू लुटाते गुलाब और बेला
बदलते मौसम की मस्तियाँ
विस्तृत रेतीले बंजर टीले
अगर ये सब बचे
हमारी हवस और मूर्खता से !

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