Thursday 20 August, 2009

उहापोह

तुम हो या कि नहीं हो !
सपने होते हैं ऒर नहीं भी
ऒर ख़याल भी.
मेरे दिन गुज़रते हैं तेरे ख़याल मे
मेरी रातें गुज़रती हैं तेरे सपनो मे
ये दिन ऒर ये रातें
हैं या नहीं !
ऒर अगर नहीं हैं
तो ज़िन्दगी कहाँ है !
तो फ़िर ये क्या है
जो कहीं मेरे भीतर
रह रह के कसमसाता है
घुटता है तड़फ़ड़ाता है
चीखता चिल्लाता है
ऒर ये जान लेना चाहता है
ऎ मेरी ज़िन्दगी !
तुम हो या कि नहीं हो !

No comments:

Post a Comment